जल रोको संरचना ने हराभरा किया गांव, महिला सरपंच की दूरदर्शिता काम आई "खुशियों की दास्तां" - Vidisha Times

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

रविवार, 13 सितंबर 2020

जल रोको संरचना ने हराभरा किया गांव, महिला सरपंच की दूरदर्शिता काम आई "खुशियों की दास्तां"

सागर | 


 

    मालथौन विकासखण्ड की पंचायत पांतीखेड़ा की सरपंच श्रीमती श्रीबाई आदिवासी की दूरदर्शिता गांव के जीआरएस त्रिलोक सिह राजपूत, सचिव प्रभात शुक्ला, की सक्रियता से आज गांव की खेती हरी भरी हुई है। मनरेगा के अंतर्गत गांव में बहने वाले नाले पर गल्ली प्लग और लूस बोल्टर स्टेªक्चर की संरचनायें निर्मित की गईं हैं। चूकि बरसात का पानी इस नाले से होते हुए गांव के बाहर चला जाता था जबकि यदि वर्षा जल का संग्रहण कर लिया जाता तो गांव के 115 से अधिक किसानों को इस नाले के पानी का लाभ मिलता। ग्राम विकास योजना में सरपंच ने गांव में इस नाले पर लूस बोल्डर संरचनायें प्रस्तावित की हैं। जिन्हें जनपद के माध्यम से तत्परता से स्वीकृति और निर्माण राशि उपलब्ध कराई गई। इस नाले पर 12 उपरोक्त संरचनायें निर्मित की गईं। जिससे वर्षा जल की एक-एक बूंद गांव में ही सहेजली गई और किसानों को संग्रहित जल से लाभ मिलना शुरू हो गया। उपयंत्री जितेन्द्र सिंह और दीपक कुमार ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत सभी पंचायतों में इस प्रकार की सरचनाओं के निर्माण का प्रावधान है। गांव के किसान बलराम सिह और भीकम सिंह ने बताया कि उन्होंने अवर्षा की स्थिति में इन्हीं संरचनाओं में संरक्षित वर्षा जल से अपने सोयाबीन को बचाया। गगन सिंह आदिवासी राजाराम सिंह का कहना है कि गेहूं की फसल में ये पानी उनके लिए उपयोगी होगा, इसके अलावा गांव के मवेशियों को भी पेयजल के लिए और ग्रामीणों को निस्तार के लिए र्प्याप्त पानी संग्रहित हो गया है। पंचायत पांती खेड़ा में कन्नाखेड़ी के अलावा ग्राम सुररू और देवपुरा आते हैं। सुश्री अंजना नागर जनपद सीईओ, मालथौन ने बताया कि स्थानीय मटैरियल के इस्तेमाल से एलबीएस संरचना सभी नालों पर कारगर है। इससे न केवल वर्षा जल का संग्रहण होता है बल्कि मिट्टी के कटाव को भी रोके जाने में मदद मिलती है। नालों के किनारे लगे पेड़ पौधे इस संग्रहित जल की नर्मी को सोखकर फलते फूलते हैं।
    डॉ. इच्छित गढ़पाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत सभी 11 विकासखण्डों की ग्राम पंचायतों में इन संरचनाओं के निर्माण का प्रावधान है। इनके माध्यम से व्यर्थ बह जाने वाले जल को संग्रहित किया जाकर उसे निस्तार और सिंचाई के उपयोग में लिया जा सकता है। संग्रहित जल भू-जल स्तर को भी रिचार्ज करता है। 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

VIDISHA TIMES