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बुधवार, 22 जनवरी 2020

नेशनल लोक अदालत से संवर रहा है अब परिवारों का दाम्पत्य जीवन "खुशियों की दास्तां"

छिन्दवाड़ा | 


 

 

 


 

   लोक अदालत सस्ते और सच्चे न्याय के लिये एक सर्वोत्तम साधन है, जिसमें न कोई पक्ष जीतता है और न ही कोई पक्ष हारता है। न्याय के प्रति बढ़ती श्रध्दा और विश्वास के कारण अब राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाने लगा है जिसमें पूरे देश में एक साथ लोक अदालत का आयोजन कर आपसी राजीनामा से प्रकरणों का निपटारा किया जाता है। लोक अदालत में विभिन्न प्रकरणों के साथ ही कुटुम्ब न्यायालय के माध्यम से वैवाहिक विवाद के प्रकरण भी आपसी राजीनामा से निराकृत किये जा रहे है जिससे परिवारों को टूटने से बचाया जा रहा है। छिन्दवाड़ा जिला न्यायालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष और जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री ब्रजेन्द्र सिंह भदौरिया के मार्गनिर्देशन और विशेष न्यायाधीश एवं लोक अदालत के प्रभारी अधिकारी श्री नवनीत कुमार गोधा के नेतृत्व में संपन्न हो रही नेशनल लोक अदालतों में कई वर्ष पुराने प्रकरणों का निराकरण हो रहा है और वैवाहिक विवादों का अंत कर परिवारों की पुनर्स्थापना की जा रही है। इन्हीं में से श्रीमती रंजना और श्री टोनी, श्रीमती हिमानी और श्री दीपक, श्रीमती भागरथी और श्री पुरूषोत्तम आदि ऐसे परिवार है, जिनके दाम्पत्य जीवन को नेशनल लोक अदालत ने बिखरने से बचाया है। लोक अदालत में प्रकरण के निराकरण से दोनों पक्षों में प्रसन्न्ता है और उन्होंने न्यायालय के प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया है। दोनों पक्षों में इस बात को लेकर हर्ष व्याप्त है कि उनके मन के मुताबिक उन्हें न्याय मिल गया है और सारे गिले-शिकवे दूर होकर उनका दाम्पत्य जीवन अब संवर गया है। उल्लेखनीय है कि गत माह संपन्न नेशनल लोक अदालत में 15 हजार 445 प्रकरणों में से एक हजार 296 प्रकरणों का निराकरण करने के साथ ही 6 करोड 16 लाख 50 हजार 69 रूपये की राशि के अवार्ड पारित किये गये जिससे 2 हजार 85 व्यक्ति लाभान्वित हुये जिसमें वैवाहिक विवाद के 515 प्रकरणों में से 105 प्रकरणों का निराकरण कर 6 हजार रूपये की राशि का अवार्ड पारित किया गया जिससे 238 व्यक्ति लाभान्वित हुये।
        जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और अपर जिला न्यायाधीश श्री विजय सिंह कावछा तथा जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सोमनाथ राय ने बताया कि श्रीमती रंजना और श्री टोनी का विवाह मई 2017 में हुआ, लेकिन विवाह के कुछ माह बाद ही विवाद होने के कारण पति-पत्नी अलग-अलग रहने लगे थे। मार्च 2019 में दोनों के मध्य विवाह-विच्छेद की सहमति बनने पर दोनों ने नवंबर 2019 में तलाक के लिये न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया। श्रीमती हिमानी और श्री दीपक का अप्रैल 2016 में विवाह हुआ और तबसे ही श्रीमती हिमानी मायके में निवास कर रही थी और उसने न्यायालय में भरण-पोषण के लिये प्रकरण प्रस्तुत किया। इसी प्रकार श्रीमती भागरथी और श्री पुरूषोत्तम का विवाह मई 2014 में हुआ। श्रीमती भागरथी जनवरी 2019 से मायके में निवास करने लगी और उसने न्यायालय में भरण-पोषण के लिये प्रकरण प्रस्तुत किया एवं नवंबर 2019 में दोनों पक्षकार न्यायालय में उपस्थित हुये। कुटुम्ब न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती आशा एन.गोधा द्वारा पक्षकारों को समझाईश देकर साथ रहने के लिये राजी कराया गया, जिसके बाद लोक अदालत की समझाईश से उभय पक्ष के मध्य आपसी राजीनामा से समझौता हुआ और वे साथ रहने के लिये तैयार हुये एवं एक साथ घर गये। आपसी समझौते से प्रकरण का निराकरण होने पर उभय पक्ष अब संतुष्ट हैं और उनके परिवारों में खुशी का माहौल है। इन परिवारों ने अब अपने जीवन को नये ढंग से संवारने का संकल्प लिया है और अन्य लोगों को भी परिवार में मिलजुलकर रहने की प्रेरणा दे रहे हैं।




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