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बुधवार, 22 जनवरी 2020

प्रोत्साहन राशि पड़ी कम तो खुद की जमा पूंजी लगाकर बनवाये शौचालय (खुशियों की दास्तां)

कटनी |


 

 

 


   

  

  शौचालय में कम प्रोत्साहन राशि मिलने का बहाना तो कई हितग्राहियों के मुंह से आपने सुना हो। लेकिन इस धारणा को बदलने का काम उन हितग्राहियों ने कर दिखाया, जिनके घर का गुजारा मजदूरी के दम पर होता है। ग्रामीण क्षेत्र के ये शौचालय आदर्श के रुप में अपनी पहचान बना चुके हैं। हितग्राहियों की तारीफ अधिकारी कर रहे हैं, तो हितग्राही भी खुश है कि चलो उन्होने एक अच्छा काम कर लिया है। जिले में एैसे घर जहां पर पहले हितग्राहियों को शौचालय के लिये प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है। इनकी संख्या वर्तमान समय में 4836 है। जिसमें करीब तीन हजार शौचालयों का काम पूरा हो गया है।


मजदूरी के लगाये 50 हजार

       

     ग्राम पंचायत बड़वारा निवासी राजेन्द्र कुशवाहा उन लोगों में से हैं, जिसने अपनी जमा पूंजी 50 हजार रुपये शौचालय में खर्च कर दी। श्री कुशवाहा बताते हैं कि उनके पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है, जिसमें खेती किसानी कर वे जीवन यापन करते हैं। साथ में मजदूरी के लिये भी जाना पड़ता है। पत्नि आशा ने इसके लिये प्रेरित किया, जिसके बाद उसने भी शौचालय बनाने की ठान ली। इसके लिये जनपद और जिला पंचायत के अधिकारियों ने लिस्ट मे नाम जोड़ा और प्रोत्साहन राशि दी। बजट कम पड़ा तो इसने अपनी जमा पूंजी लगा दी। श्री कुशवाहा का कहना है कि स्वच्छता की जिम्मेदारी हम सभी की है।


सभी सदस्यों ने लगाये पैसे

            राजेश चौधरी के परिवार की कहानी भी किसी प्रेरक से कम नहीं है। घर में आय का एक जरिया सिर्फ मजदूरी ही है। इसके बाद भी श्री चौधरी और उनके परिवार में 65 हजार की लागत से शौचालय का निर्माण कराया। श्री चौधरी बताते हैं कि उनका संयुक्त परिवार है। घर में शौचालय बनाये जाने की बात जब सभी सदस्यों ने रखी, तो सभी लोगों ने सहमति दी और कहा कि वे बेहतर शौचालय बनवायेंगे। इसके लिये सभी सदस्यों ने कहा कि वे भी आर्थिक मदद करेंगे। बाजार से उधार में सामग्री लेकर काम कराया। अब सामग्री का भुगतान कर दिया गया है।


ये ग्रामीण भी रहे आगे

        

    जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में प्रताप सिंह कटारिया का शौचालय लोगों के लिये प्रेरणा बना हुआ है। उन्होने कहा कि शुरुआती दौर में जरुर परेशानी आई। इसके बावजूद उन्होने यह ठान लिया के वे सबसे अच्छा शौचालय बनवायेंगे। जिससे उनकी राह आसान हुई और वे चकाचक शौचालय बनाने में सफल हुये। इसके साथ अन्य और हितग्राही हैं, जिन्होने अपनी सोच को जमीन में उतारते हुये स्वच्छता में शासन और प्रशासन के चलाये जा रहे अभियान में कंधे से कंधा मिलाया।




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